कहानी 5 : एक सफर जिसके लिए समय नहीं
फैक्ट्री में रात के गहरे सन्नाटे के बीच मशीनों की गूंजती आवाजें मेरे लिए कभी सुकून का एहसास थीं। मैं […]
फैक्ट्री में रात के गहरे सन्नाटे के बीच मशीनों की गूंजती आवाजें मेरे लिए कभी सुकून का एहसास थीं। मैं […]
यह कहानी है एक बिहारी परिवार की, जहां पिता अब बुजुर्ग हो चुके हैं। उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी परिवार के