चार्ल्स डुहिग की पुस्तक “द पावर ऑफ हैबिट” के अनुसार, आदतें विकसित करने के लिए तीन चीजें जरूरी होती हैं: एक संकेत (cue), एक रूटीन, और एक इनाम (reward)। आइए इन अवधारणाओं के दो उदाहरणों के साथ समझते हैं और यह भी जानें कि आदतों को कैसे बदला जा सकता है।
उदाहरण 1: सुबह व्यायाम करने की आदत
संकेत (Cue): सुबह का अलार्म बजना। रूटीन (Routine): उठकर तुरंत व्यायाम करना। इनाम (Reward): व्यायाम के बाद मिलने वाली ताजगी और ऊर्जा का अनुभव।
कैसे काम करता है: जब आपका अलार्म बजता है, तो यह संकेत आपके दिमाग को याद दिलाता है कि यह व्यायाम का समय है। आप अपनी रूटीन को पूरा करते हैं (व्यायाम करते हैं), और इसके बाद जो ऊर्जा और ताजगी आप महसूस करते हैं, वह इनाम के रूप में कार्य करती है। धीरे-धीरे, आपका दिमाग इस इनाम से जुड़ जाता है और व्यायाम करना एक आदत बन जाती है।
उदाहरण 2: अनहेल्दी स्नैक्स खाने की आदत
संकेत (Cue): शाम के समय हल्की भूख लगना। रूटीन (Routine): चिप्स या अन्य अनहेल्दी स्नैक्स खाना। इनाम (Reward): भूख मिटने और स्वाद का आनंद लेना।
कैसे काम करता है: शाम को हल्की भूख लगने पर आपका दिमाग इस संकेत को पहचानता है। आप अनहेल्दी स्नैक्स खाने की रूटीन अपनाते हैं, और स्वाद और भूख मिटने का अनुभव आपको इनाम के रूप में मिलता है। यह चक्र बार-बार दोहराया जाता है और एक आदत बन जाता है।
आदत को कैसे बदला जा सकता है?
डुहिग के अनुसार, आप अपनी आदत को तभी बदल सकते हैं जब आप अपने रूटीन को बदलकर एक नई आदत को उसी संकेत और इनाम से जोड़ दें। इसका मतलब है कि आपको पुराने संकेत और इनाम को रखते हुए रूटीन को बदलना होगा।
उदाहरण: यदि आप अनहेल्दी स्नैक्स खाने की आदत को बदलना चाहते हैं, तो उसी संकेत (शाम की हल्की भूख) का उपयोग करें, लेकिन रूटीन को बदलें। इसके बजाय, आप फल या नट्स खाने का रूटीन बना सकते हैं। इनाम वही रहेगा—भूख मिटना और स्वाद का आनंद। धीरे-धीरे, आपका दिमाग नई रूटीन को पहचानने लगेगा और यह आपकी नई आदत बन जाएगी।
इस तरह, संकेत और इनाम को समान रखते हुए रूटीन में बदलाव करके, आप अपनी पुरानी आदत को एक नई, स्वस्थ आदत में बदल सकते हैं।