सीखने और सिखाने के माहौल में झूठी प्रशंसा के माध्यम से व्यक्ति की प्रगति को रोकने की एक प्रमुख रणनीति यह है कि उसे बार-बार यह फीडबैक दिया जाए कि वह सफल हो चुका है और उसे आगे बढ़ने की आवश्यकता नहीं है। जैसे, “तुम तो पहले से ही सफल हो, मुझे तुम्हारी गाइड की जरूरत है। मेरी मदद कर दो।” ऐसे वाक्य व्यक्ति को यह महसूस कराते हैं कि उसने अपनी अधिकतम क्षमता प्राप्त कर ली है और उसे सुधार की कोई ज़रूरत नहीं है। हालाँकि, उसे इस बात का उत्तर पहले से ही पता होता है, पर वह अनावश्यक बातों में समय बरबाद कर देता है और अपनी प्रगति पर ध्यान नहीं दे पाता।
वास्तविकता से दूर फीडबैक का प्रभाव
जब किसी व्यक्ति को लगातार यह बताया जाता है कि वह सफल है और उसे मार्गदर्शन की पेशकश की जाती है, लेकिन इसमें सुधार की कोई बात नहीं होती, तो इसका प्रभाव यह होता है कि वह व्यक्ति आत्म-मूल्यांकन की प्रक्रिया से दूर हो जाता है। इस प्रकार के वाक्य और प्रशंसा व्यक्ति की आत्मसंतुष्टि बढ़ाते हैं और उसे अपनी क्षमताओं का अधिक गहराई से परीक्षण करने से रोकते हैं। इससे वह अपनी कमजोरियों को पहचानने और सुधारने के लिए आवश्यक प्रयास करने से चूक जाता है।
समय की बर्बादी और महत्वहीन विषयों पर ध्यान
झूठी प्रशंसा और “तुम तो पहले से ही सफल हो, मुझे तुम्हारी गाइड की जरूरत है” जैसे वाक्य व्यक्ति के समय को गैर-प्रदर्शनकारी और महत्वहीन विषयों पर केंद्रित कर देते हैं। ऐसे विषय केवल आत्म-संतुष्टि देते हैं, लेकिन उनसे व्यक्ति को कुछ नया सीखने या समझने में कोई लाभ नहीं होता। इसके परिणामस्वरूप, व्यक्ति बेकार की बातों में उलझ कर अपना कीमती समय बर्बाद करता है।
समाधान:
- सार्थक फीडबैक की मांग करें: ऐसे फीडबैक की मांग करें जो विशिष्ट हो और सुधार के लिए दिशा दिखाए। अगर कोई कहता है कि आप सफल हैं, तो उनसे पूछें, “कृपया यह बताएं कि मैंने क्या अच्छा किया है और कहां सुधार की जरूरत है।”
- अनुपयोगी विषयों से बचें: ध्यान दें कि आपकी बातचीत और विचार-विमर्श उन विषयों पर केंद्रित हों जो आपके विकास में योगदान देते हैं। व्यर्थ के गैर-प्रदर्शनकारी विषयों पर समय बर्बाद करने से बचें।
- अपनी योजना बनाएं: अपनी कमजोरियों और मजबूत पक्षों का खुद मूल्यांकन करें और सुधार के लिए एक स्पष्ट योजना बनाएं। इससे आप फोकस्ड रहेंगे और अपने समय का सही उपयोग कर सकेंगे।
- स्वयं को चुनौती दें: यह मानकर न बैठें कि आप अपनी अधिकतम क्षमता तक पहुंच चुके हैं। हमेशा खुद को नई चुनौतियों में डालें और सीखने की प्रक्रिया को जारी रखें।
निष्कर्ष
असत्य फीडबैक और बेकार की बातचीत न केवल व्यक्ति की प्रगति को रोकती है बल्कि उसकी सुधार की प्रक्रिया को धीमा कर देती है। “तुम तो पहले से ही सफल हो, मुझे तुम्हारी गाइड की जरूरत है” जैसे वाक्य, भले ही वे तारीफ के लिए कहे गए हों, व्यक्ति को अनावश्यक आत्म-संतुष्टि और समय की बर्बादी की ओर ले जाते हैं। सही फीडबैक लेने और देने की संस्कृति बनाकर, उपयोगी विषयों पर ध्यान केंद्रित करके, और आत्म-मूल्यांकन द्वारा अपनी क्षमताओं का परीक्षण करके, व्यक्ति अपने सीखने के सफर को और भी प्रभावी बना सकता है।